यूपी में एक महीने में 300 से ज्यादा मौतें

तीसरी लहर की यह थी मारक क्षमता, सरकारी दावों में इसे मामूली वायरल फीवर जैसा करार दिया

यूपी में एक महीने में 300 से ज्यादा मौतें

यूपी में कोरोना की तीसरी लहर में जनवरी महीने में 300 से ज्यादा लोग अपनी जान गवां चुके है। पर सरकारी एडवाइजरी में ओमीक्रॉन वायरस का घातक संक्रमण को मामूली वायरल फीवर जैसा करार देकर सतर्कता बरतने को बात कही जा रही है। वहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में हर रोज औसतन 10 लोगों की जान कोरोना ने ली है, एक महीने में यह संख्या 300 के पार जा पहुंची। दूसरी तरफ प्रदेश में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज हुई। दावा किया गया कि ज्यादातर मरीज होम आइसोलेशन में है और सात दिन बाद सभी को रिकवर दिखाया जा रहा यही कारण रहा कि सरकारी आंकड़ों में रिकवर होने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी। इसका नतीजा रहा कि एक्टिव केस तेजी से घटे। महीने भर ने सक्रिय केस ने एक लाख का आंकड़ा पार किया वही आखरी दिनों में यह आंकड़ा 50 हजार के करीब जा पहुंचा। वही एक्सपर्ट इसको लेकर लापरवाही न बरतने की बात अभी भी दोहरा रहे है।

101 फीसदी बढ़ा मौत का आंकड़ा

जनवरी की शुरुआत में प्रदेश में कोरोना से होने वाली मौत की संख्या 22 हजार 915 थी। इसमें 101 फीसदी का इजाफा होकर यह संख्या मंगलवार को आई 31 जनवरी की रिपोर्ट में 23 हजार 233 तक पहुंच गई। औसतन प्रतिदिन एक दिन में 10 से ज्यादा संक्रमितों की जाने गई। वही कुल मिलाकर 318 परिवारों में मातम पसरा पर कोरोना के इस नए वैरिएंट को मामूली व हल्का बताकर बस सतर्कता बरतने की ही नसीहत दी जा रही है।

ऐसे बढ़ा कोरोना से मौत का आंकड़ा -

दिन टोटल टेस्टिंग काउंट पॉजिटिव केस मौत
20 जनवरी 2 लाख 47 हजार 845 18 हजार 554 10
21 जनवरी 2 लाख 41 हजार 457 16 हजार 142 22
22 जनवरी 2 लाख 37 हजार 109 16 हजार 740 16
23 जनवरी 2 लाख 32 हजार 51 13 हजार 830 19
24 जनवरी 1 लाख 86 हजार 697 11 हजार 159 17
25 जनवरी 1 लाख 99 हजार 290 11 हजार 583 15
26 जनवरी 2 लाख 14 हजार 992 10 हजार 937 23
27 जनवरी 1 लाख 93 हजार 419 8 हजार 901 20
28 जनवरी 1 लाख 80 हजार 883 7 हजार 907 14
29 जनवरी 2 लाख 2 हजार 582 8 हजार 338 25
30 जनवरी 2 लाख 2 हजार 467 8 हजार 100 26
31 जनवरी 1 लाख 80 हजार 978 6 हजार 626 18
1 फरवरी 1 लाख 78 हजार 893 4 हजार 901 26

चुनाव आयोग ने कैंपेन में दी छूट

इस बीच विधानसभा चुनाव में इलेक्शन कैंपेन के दौरान की जाने वाले रैली व रोड शो को लेकर सोमवार को दिल्ली में चुनाव आयोग की अहम बैठक हुई। इसमें आयोग ने चुनाव प्रचार में पार्टियों को रियायत देते हुए खुले मैदान की रैली में 1 हजार लोगों को कोविड प्रोटोकाल के साथ बुलाने की अनुमति दी है। वही इंडोर में यह संख्या 500 लोगों की है। वही डोर-टू-डोर कैंपेन में 10 लोगों की सीमा को बढ़ाकर 20 कर दिया गया है।

मामूली वायरल फीवर से न करे तुलना

प्रदेश में कोरोना के कारण होने वाली मौतों के बढ़ते आंकड़ों पर स्वीडन बेस्ड चिकित्सा विज्ञानी डॉ. राम उपाध्याय कहते है कि यह कहना गलत है कि ओमिक्रॉन संक्रमण मामूली वायरल फीवर जैसा है और ऐसी भूल हमें नही करनी चाहिए। हमारा फोकस ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग व ट्रेसिंग पर होना चाहिए और हमें यह भी देखना चाहिए कि पॉजिटिव आ रहे मरीजों के सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए लैब में भेजे जाएं तभी हम वायरस के बारे बेहवियर को लेकर कुछ कह सकते है।

तेजी से वैक्सीनेशन की खुली पोल - मरने के 9 महीने बाद लगाई वैक्सीन की दूसरी डो

प्रदेश में कोरोना टीकाकरण रोज नए नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है। इस रिकॉर्ड तोड़ अभियान की पोल तब खुल गई जब 9 महीने पहले मरे हुए व्यक्ति को भी डोज लगाने का खुलासा हुआ। मामला लखनऊ के इंदिरानगर इलाके का है। यहां करीब 9 माह पहले मर चुके व्यक्ति को दूसरी डोज लगाने का प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया जबकि इस व्यक्ति की कोरोना संक्रमण के चलते दूसरी लहर में ही मौत हो गई थी।

19 अप्रैल 2021 को हो चुकी थी मौत

शहर के इंदिरानगर निवासी आलोक जैन ने बताया कि उनके बड़े भाई विवेक जैन ने 11 अप्रैल को इंदिरानगर CHC में वैक्सीन की पहली डोज लगवाई थी। कुछ दिन बाद वह कोरोना संक्रमित हो गये और 19 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। 31 जनवरी को उनके मोबाइल नंबर पर मैसेज आया कि विवेक जैन को टीके की दूसरी डोज लग गई है। वह कोविन पोर्टल से वह प्रमाणपत्र डाउनलोड कर सकते हैं। भाई को लगा किसी चूक की वजह से मैसेज आ गया होगा। जब उन्होंने प्रमाणपत्र डाउनलोड किया तो उसमें भी दूसरी दोनों डोज लगने का प्रमाण पत्र लोड हो गया। इससे पहले बक्शी का तलाब इलाके में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था।