भीमा-कोरेगांव युद्ध के 204 साल, देखें Corona के बीच शौर्य दिवस का आयोजन कैसे हुआ

भीमा कोरेगाव के युद्ध के बारे में कौन नहीं जानता. हर साल एक जनवरी को दलित समुदाय 1818 की जंग की वर्षगांठ मनाते हैं. 1 जनवरी 1818 को भीमा कोरेगांव में पेशवाओं से लड़ने वाली ब्रिटिश सेना में मुख्य रूप से दलित-महार समुदाय के सैनिक शामिल थे

भीमा-कोरेगांव युद्ध के 204 साल, देखें Corona के बीच शौर्य दिवस का आयोजन कैसे हुआ

भीमा-कोरेगांव युद्ध के 204 साल, देखें Corona के बीच शौर्य दिवस का आयोजन कैसे हुआ 

भीमा कोरेगाव के युद्ध के बारे में कौन नहीं जानता. हर साल एक जनवरी को दलित समुदाय 1818 की जंग की वर्षगांठ मनाते हैं. 1 जनवरी 1818 को भीमा कोरेगांव में पेशवाओं से लड़ने वाली ब्रिटिश सेना में मुख्य रूप से दलित-महार समुदाय के सैनिक शामिल थे. इसीपर the Public News 24  के संवाददाता Ravsaheb Dongre कोरेगांव पहुंचे और शौर्य दिवस पर हो रही तैयारियों पर वहां मौजूद लोगों से बात की.


सामाजिक कल्याण विभाग, जिला प्रशासन, और डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर अनुसंधान और शिक्षण संस्थान (बार्ती)  लोगों को सुविधाएं देने का पूरा प्रयास किया हैं जो भीम-कोरेगांव की लड़ाई की 204  वीं वर्षगांठ के अवसर पर उपस्थित थे। 
1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ पर विजय स्तंभ के पास हिंसा भड़क गई थी. पुलिस के अनुसार, एक दिन पहले एल्गार परिषद के एक  कार्यक्रम में भड़काऊ भाषणबाजी हुई थी, जिससे ये हिंसा भड़की थी. इस मामले में एल्गार परिषद से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। 

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भीमा कोरेगावच्या लढाईबद्दल कोणाला माहिती नाही. दरवर्षी 1 जानेवारीला दलित समाज 1818 च्या युद्धाची जयंती साजरी करतो. 1 जानेवारी 1818 रोजी भीमा कोरेगाव येथे पेशव्यांशी लढणाऱ्या ब्रिटिश सैन्यात प्रामुख्याने दलित-महार समाजातील सैनिकांचा समावेश होता. यावर पब्लिक न्यूज 24 चे वार्ताहर रावसाहेब डोंगरे यांनी कोरेगाव गाठून शौर्य दिनानिमित्त सुरू असलेल्या तयारीबाबत उपस्थित नागरिकांशी चर्चा केली.


भीमा-कोरेगावच्या लढाईच्या 204 व्या वर्धापन दिनानिमित्त समाजकल्याण विभाग, जिल्हा प्रशासन आणि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर संशोधन व शैक्षणिक संस्था (बार्टी) यांनी सर्वोतोपरी प्रयत्न केले.
भीमा कोरेगाव लढाईच्या 200 व्या वर्धापन दिनानिमित्त 1 जानेवारी 2018 रोजी विजय स्तंभाजवळ हिंसाचार झाला होता. पोलिसांनी दिलेल्या माहितीनुसार, एक दिवसापूर्वी एल्गार परिषदेच्या एका कार्यक्रमात भडकाऊ भाषण झाले होते, त्यामुळे हा हिंसाचार भडकला होता. याप्रकरणी एल्गार परिषदेशी संबंधित अनेकांना अटक करण्यात आली होती.