बेटा घर से निकालने की धमकी दे तो क्या करें माँ-बाप

बेटा घर से निकालने की धमकी दे तो क्या करें माँ-बाप

बेटा घर से निकालने की धमकी दे तो क्या करें माँ-बाप  

बुढापे में कई लोग अपने माता-पिता की सेवा नहीं करते, बल्कि उनकी ही सम्पत्ती से उन्हें बेदखल कर देते हैं। लेकिन ऐसे में बुजुर्ग माता-पिता की सहायता के लिए एक कानून है जो उन्हें बहुत सारे अधिकार देता है।  

अगर किसी बुजुर्ग दंपत्ति का बेटा और बहू या कोइ भी नातेदार सेवा के नाम पर उनकी सम्पत्ती हड़प लेता है तो बुजुर्ग दम्पत्ती इस कानून के तहत ना सिर्फ अपनी सम्पत्ती वापस ले सकते हैं बल्कि अपने भरण पोषण के लिए उन पर केस भी कर सकते हैं। 

आइये जानते हैं क्या कहता है वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 यानी (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007।  
सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 की धारा 23 के तहत यदि कोइ वरिष्ट नागरिक इस वादे के साथ अपनी सम्पत्ती किसी के नाम करता है कि वो बुढ़ापे में उसकी देखभाल करेगा और ऐसा नहीं होता है तो वो अपनी सम्पत्ती वापस ले सकता है।

यदि कोइ सीनियर सिटीजन की सम्पत्ती सेवा के नाम अपने नाम करवा लेता है तो बुजुर्ग व्यक्ति सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 की धारा 23 के मुताबिक़ संपत्ति का हस्तांतरण धोखाधड़ी, जबरदस्ती या गलत या तरीके से लेना बताकर शून्य घोषित करवा सकते है।

 क्या कहता है कानून
यह कानून भारत सरकार द्वारा 2007 में लागू किया गया। इसके तहत कुछ  परिभाषाएं और नियम दिए गए हैं, जिसमे कहा गया है कि माता पिता और वरिष्ठ नागरिक के भरण पोषण की जिम्मेदारी उनकी संतान की होगी। 
संतान
संतान में 18 वर्ष से अधिक के पुत्र-पुत्री और पोते-पोती आते हैं जो बालिग़ हैं।

भरण पोषण
इस क़ानून के मुताबिक़ भरण पोषण के अंतर्गत आहार, निवास, चिकित्सा और उपचार आदि शामिल होते हैं।

माता-पिता
इसमे जैविक माता-पिता यानि जन्म देने वाले, सौतेला या दत्तक (गोद लेने वाले) के रूप में ग्रहण करने वाले माता-पिता आते हैं चाहे वो वरिष्ठ नागरिक हो या ना हों इस कानून के दायरे में आते हैं।

संपत्ति
इसमे चल-अचल, पैतृक या स्व अर्जित (यानि खुद कमाई गयी) संपत्ति, मूर्त या अमूर्त संपत्ति  शामिल है।  

नातेदार
इसमे संतानहीन माता-पिता, और वरिष्ठ नागरिक के कानूनी वारिस आते हैं जो उसकी सम्पत्ती पर उसकी मृत्यु के बाद कानूनी या वसीयत के आधार पर संपत्ति के अधिकारी बनेंगे। 

वरिष्ठ नागरिक
कोइ भी ऐसा व्यक्ति जो  भारत का नागरिक है और 60 या उससे अधिक आयु का है।

कल्याण
इसमे वरिष्ठ नागरिकों के लिए बुनियादी सुविधाएं जिसमे भोजन, आवास, स्वास्थ्य, मनोरंजन, तथा अन्य जरूरी आवश्यकताएं शामिल हैं।  

मुख्य बिंदु
इस कानून के मुताबिक़ यदि कोइ संतान या नातेदार व्यस्क है और सक्षम है उसे अपने माता-पिता का भरण-पोषण करना अनिवार्य होगा। खासतौर से ऐसे संतान के लिए जो माता-पिता की सम्पत्ती के वारिस हैं।

कैसे लें मदद 
यदि कोइ माता-पिता अपनी संतान से भरण पोषण का कानूनी अधिकार चाहते हैं तो वो वरिष्ठ नागरिक अधिनियम यानि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 की धारा 4 के तहत डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास एप्लीकेशन दे सकते हैं।