हसदेव अरण्य के सघन वन क्षेत्र में कोयला खदान शुरू होने से साढ़े चार लाख पेड़ों की कटाई होने की संभावना ?

हसदेव अरण्य के सघन वन क्षेत्र में कोयला खदान शुरू होने से साढ़े चार लाख पेड़ों की कटाई होने की संभावना ?

हसदेव अरण्य के सघन वन क्षेत्र में कोयला खदान शुरू होने से प्रभावित आदिवासी परिवार का क्या होगा ? साढ़े चार लाख पेड़ों की कटाई होने की संभावना ? सघन वन क्षेत्र को विरान करने का दुष्प्रभाव  पर्यावरण पे होगा ? क्या इसके इंतजाम किये गए है ?


हसदेव को लेकर शुरू हुई लामबंदी .

हसदेव अरण्य के सघन वन क्षेत्र में कोयला खदान शुरू होने से तकरीबन 10 हजार आदिवासी परिवार प्रभावित होंगे। इनके सामने जीवन यापन के साथ ही रहवास की बड़ी समस्या उठ खड़ी होगी। पीढ़ी-दर-पीढ़ी वनों में रहने वाले आदिवासियों के सामने जीवनयापन की समस्या भी सामने आएगी। इसके अलावा इस क्षेत्र में तकरीबन साढ़े चार लाख पेड़ों की कटाई होगी। इसका मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में प्रदेश में गंभीर पर्यावरण समस्या खड़ी होगी। जल संकट का सामना भी करना पड़ेगा। सघन वन क्षेत्र को विरान करने का दुष्प्रभाव छत्तीसगढ़वासियों को झेलना पड़ेगा।

हसदेव अरण्य को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ में महिलाओं ने 'चिपको आंदोलन' को फिर से शुरू किया ,  दावा है कि क्षेत्र में नियोजित खनन परियोजनाओं के लिए 841 हेक्टेयर जंगल में फैले 200,000 से अधिक पेड़ों को काटना होगा
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा परसा ईस्ट केटे बेसन कोयला खदानों के दूसरे चरण को 6 अप्रैल को अंतिम मंजूरी दिए जाने के बाद सुरजापुर जिले में ट्रेस की कटाई शुरू हुई। दोनों परियोजनाएं राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के स्वामित्व में हैं और अदानी समूह द्वारा संचालित हैं।