निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे एमबीबीएस छात्रों को सुप्रीम कोर्ट से राहत | प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों से MBBS करने वालों को मिलेगी ये बड़ी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे एमबीबीएस छात्रों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने कहा कि निजी मेडिकल कॉलेज छात्रों को स्नातक के बाद रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में सेवा करने के लिए बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं और इस शर्त के उल्लंघन पर उनसे भारी राशि वसूल नहीं सकते।

निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे एमबीबीएस छात्रों को सुप्रीम कोर्ट से राहत | प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों से MBBS करने वालों को मिलेगी ये बड़ी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे एमबीबीएस छात्रों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने कहा कि निजी मेडिकल कॉलेज छात्रों को स्नातक के बाद रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में सेवा करने के लिए बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं और इस शर्त के उल्लंघन पर उनसे भारी राशि वसूल नहीं सकते।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने यह निर्णय देते हुए उज्जैन के आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज की अपील को खारिज कर दिया। इस अपील में कॉलेज को डॉ. अंशुल जैन को 5 लाख रुपये बांड राशि 8% वार्षिक ब्याज के साथ लौटाने का निर्देश दिया गया था, क्योंकि उन्होंने मध्य प्रदेश के इस निजी मेडिकल कॉलेज से एनेस्थीसिया में पोस्ट-ग्रेजुएशन करने के बाद अन्यत्र काम करने के लिए यह राशि जमा की थी।

न्यायिक निर्णय का महत्व: सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा छात्रों पर लगाए जाने वाले अनुचित बंधनों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि छात्रों को स्नातक के बाद रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में सेवा करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता और इसके उल्लंघन पर उनसे भारी राशि वसूलना गलत है।

मामले की पृष्ठभूमि: मध्य प्रदेश के आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज ने डॉ. अंशुल जैन से स्नातक के बाद अन्यत्र काम करने के लिए 5 लाख रुपये बांड राशि जमा कराई थी। डॉ. जैन ने इस राशि को वापस पाने के लिए अदालत में मामला दर्ज किया था, जिसमें उन्होंने बांड शर्त को अनुचित और अवैध बताया था। निचली अदालतों ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसे कॉलेज ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि किसी भी निजी मेडिकल कॉलेज को छात्रों पर इस प्रकार के बंधन लगाने का अधिकार नहीं है। अदालत ने कॉलेज को निर्देश दिया कि वह डॉ. जैन को 5 लाख रुपये बांड राशि 8% वार्षिक ब्याज के साथ लौटाए।

छात्रों के लिए राहत: सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे छात्रों को बड़ी राहत मिली है। यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि छात्रों को उनकी शिक्षा के बाद स्वतंत्रता और विकल्पों की आजादी मिलनी चाहिए, और उन्हें किसी भी प्रकार के अनुचित बंधनों में नहीं बांधा जाना चाहिए।

अगले कदम: इस निर्णय के बाद, उम्मीद है कि अन्य निजी मेडिकल कॉलेज भी अपने बांड शर्तों की समीक्षा करेंगे और छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्हें संशोधित करेंगे। यह निर्णय छात्रों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें बेहतर शिक्षा और करियर विकल्प देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय छात्रों के हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यह न केवल निजी मेडिकल कॉलेजों को अनुचित शर्तें लगाने से रोकेगा, बल्कि छात्रों को भी उनके करियर विकल्पों में स्वतंत्रता और सुरक्षा प्रदान करेगा।