गाजियाबाद: इच्छा मृत्यु की मांग करता रिटायर्ड इंसान: सरकार और न्यायपालिका से गुहार

एक रिटायर्ड इंजीनियर ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। उनकी मांग है कि गंगा जल की सप्लाई को पुनः स्थापित किया जाए और दूषित जल की आपूर्ति को बंद किया जाए

गाजियाबाद: इच्छा मृत्यु की मांग करता रिटायर्ड इंसान: सरकार और न्यायपालिका से गुहार

गाजियाबाद में साहिबाबाद साइट 4 की जर्जर पुलिया और नाले से निकलने वाली विषैली गैसों से त्रस्त एक रिटायर्ड व्यक्ति ने सरकार और न्यायपालिका से इच्छा मृत्यु की मांग की है। यह व्यक्ति अब इस स्थिति में जीने से थक चुका है और तिल-तिल कर मरने की बजाय इच्छा मृत्यु चाहता है। एक रिटायर्ड इंजीनियर ने लोकल नेताओं और पानी माफिया के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। उनका आरोप है कि गंगा जल, जिसे अमृत माना जाता है, अब आम जनमानस की पहुंच से दूर हो गया है और इसके बदले दूषित भू-जल की आपूर्ति हो रही है। यह मुद्दा न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है बल्कि यह भ्रष्टाचार और खराब प्रशासन का स्पष्ट उदाहरण भी है।

मुख्य समस्याएँ

  1. विषैली गैसों से खतरा: नाले से निकलने वाली विषैली गैसों के कारण लोगों का स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
  2. भ्रष्टाचार और वादाखिलाफी: नेता और अधिकारी नाले की समस्या को लेकर झूठे वादे कर चुके हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
  3. असुरक्षित पुलिया: 2018 में साहिबाबाद साइट 4 की बिना सेफ्टी रेलिंग वाली जर्जर पुलिया का उद्घाटन हुआ था, लेकिन आज तक कोई सुधार नहीं हुआ।

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"अमृत बना जहर" : लोकल नेताओं और पानी माफिया की बदौलत गंगा जल पेयजल सप्लाई से दूर

  • गंगा जल की कमी: गंगा जल, जो कि एक पवित्र और शुद्ध जल का स्रोत है, अब लोगों को उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इसका कारण स्थानीय नेताओं और पानी माफिया का हस्तक्षेप है।
  • दूषित भू-जल की आपूर्ति: गंगा जल के स्थान पर दूषित भू-जल की आपूर्ति की जा रही है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
  • रिटायर्ड इंजीनियर का संघर्ष: एक रिटायर्ड इंजीनियर ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। उनकी मांग है कि गंगा जल की सप्लाई को पुनः स्थापित किया जाए और दूषित जल की आपूर्ति को बंद किया जाए। 

रिटायर्ड इंजीनियर का संघर्ष

इस रिटायर्ड इंजीनियर का कहना है कि उन्होंने हार नहीं मानने का संकल्प लिया है। उनका उद्देश्य है:

  • शुद्ध गंगा जल की आपूर्ति: गंगा जल को फिर से आम जनता तक पहुंचाना और दूषित भू-जल की आपूर्ति को रोकना।
  • भ्रष्टाचार का अंत: पानी माफिया और भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना और उन्हें न्याय के कटघरे में खड़ा करना।
  • जन जागरूकता: लोगों को इस मुद्दे के प्रति जागरूक करना और उनके साथ मिलकर इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ना।

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दशरथ मांझी का संघर्ष

एक रिटायर्ड व्यक्ति, दशरथ मांझी, ने इस स्थिति से तंग आकर राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। वह नववर्ष की सुबह नाले में उतर कर साइलेंट प्रोटेस्ट कर चुका है और नाले की सफाई में स्वयं जुट गया है। यह कदम उनके गहरे निराशा और हताशा को दर्शाता है।

जनता की प्रतिक्रिया

जनता इस रिटायर्ड इंजीनियर के समर्थन में खड़ी हो रही है। लोग अब अधिक जागरूक हो गए हैं और वे भी इस भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं। गंगा जल की शुद्धता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए लोग संगठित होकर इस आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं।

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जनता की माँग

गाजियाबाद की जनता इस मुद्दे पर गहरी नाराजगी व्यक्त कर रही है और अपने जनप्रतिनिधियों से तत्काल और स्थायी समाधान की मांग कर रही है। लोगों का कहना है कि अगर अब भी उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया गया, तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।

समाधान की दिशा में कदम

सरकार और न्यायपालिका को इस मामले को संज्ञान में लेकर त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। नाले की समस्या का समाधान, पुलिया की मरम्मत और स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि जनता को राहत मिल सके।

इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि आम जनता की समस्याओं को नजरअंदाज करना कितना घातक हो सकता है। अब समय आ गया है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस मुद्दे को गंभीरता से लें और उचित समाधान प्रदान करें।

गंगा जल की आपूर्ति को दूषित भू-जल से बदलना एक गंभीर समस्या है, जो न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है बल्कि भ्रष्टाचार और खराब प्रशासन का भी परिणाम है। इस रिटायर्ड इंजीनियर का संघर्ष एक उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति भी बड़े बदलाव की शुरुआत कर सकता है। अब समय आ गया है कि प्रशासन और जनता मिलकर इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालें और गंगा जल की शुद्धता और पवित्रता को बनाए रखें।