भारत में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ अपराध के 51 मामले दर्ज राज्यवार महिला अपराध की दर - THE PUBLIC NEWS 24 - Special Report
आंकड़ा उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से अधिक थी. उत्तर प्रदेश में यह दर 58.6 और बिहार में यह दर 33.5 थी. भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध दर हरियाणा (118) में सबसे ज्यादा है. इसके बाद तेलंगाना (117) और पंजाब (115) का नंबर आता है.
नई दिल्ली – कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई बर्बरता के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने इस घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक नया कानून भी पारित किया है। लेकिन, यह घटना सिर्फ पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है। दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर देश में सबसे अधिक है।
हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में अपराधों के आधिकारिक आंकड़े पूरी सच्चाई को बयां कर रहे हैं? यदि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के आधिकारिक आंकड़े रिपोर्ट किए गए मामलों से कम हैं, तो न्याय सुनिश्चित नहीं हो पाएगा। रौशन किशोर की इस रिपोर्ट में हम इसी मुद्दे की गहराई से पड़ताल करते हैं।
निर्भया कांड के बाद पुलिस की भूमिका पर सवाल
2012 में दिल्ली के निर्भया कांड के बाद, देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ी। उस समय गठित न्याय समिति ने यह सुझाव दिया था कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों को निपटाने में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाना जरूरी है। लेकिन आज भी कई ऐसे सामाजिक मानदंड हैं जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा की रिपोर्टिंग को बाधित करते हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के मुताबिक, लगभग आधी महिलाएं और पुरुष मानते हैं कि पतियों द्वारा पत्नियों के खिलाफ शारीरिक हिंसा को सही ठहराया जा सकता है। यह सोच समाज में गहराई से जमी हुई है, जो अपराध की रिपोर्टिंग को प्रभावित करती है।
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर से दरिंदगी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। पश्चिम बंगाल सरकार नया कानून भी पारित कर दिया है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़ों में अलग-अलग राज्यों में बड़ा अंतर है। महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर दिल्ली में सबसे अधिक है। अगर महिलाओं के खिलाफ अपराध के आधिकारिक आंकड़े रिपोर्ट किए गए हिंसा से कम हैं, तो न्याय सुनिश्चित नहीं होगा। इसी मुद्दे की पड़ताल करती रौशन किशोर की रिपोर्ट-
2012 में निर्भया कांड के बाद बनी समिति ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों से निपटने में पुलिस की संदिग्ध भूमिका के बारे में बात की थी। सामाजिक मानदंड भी महिलाओं अपराध की रिपोर्टिंग में बाधक हैं। सर्वे में आधे पुरुष और महिलाएं मानती हैं कि पतियों द्वारा पत्नियों के खिलाफ शारीरिक हिंसा उचित है।
राज्यवार महिला अपराध की दर
अपराध के आधिकारिक आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा प्रकाशित किए जाते हैं। एनसीआरबी गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है। एनसीआरबी के रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध में भारतीय राज्यों में बड़ा अंतर है। महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर (प्रति लाख जनसंख्या पर दर्ज अपराधों की संख्या) गुजरात, तमिलनाडु और बिहार में सिर्फ 23, 24 और 33 है, वहीं हरियाणा और दिल्ली में यह 119 और 144 है। यहां सवाल है कि क्या वास्तव में महिलाओं के खिलाफ अपराध राज्यों में अलग हैं या ये संख्याएं पूरी कहानी नहीं बता रहे?
गुजरात 22.9
तमिलनाडु 24
बिहार 33.5
पंजाब 38.4
झारखंड 40.2
कर्नाटक 53.6
जम्मू व कश्मीर 57.6
छत्तीसगढ़ 58.2
उत्तर प्रदेश 58.6
कुल भारत 66.4
पश्चिम बंगाल 71.8
महाराष्ट्र 75.1
मध्य प्रदेश 78.8
असम 81.2
केरल 82
आंध्र प्रदेश 96.2
ओडिशा 103.3
राजस्थान 115.1
तेलंगाना 117
हरियाणा 118.9
दिल्ली 144.4
ऐसे मानदंडों के खिलाफ प्रतिरोध जरूरी
ऐसे मानदंडों के खिलाफ प्रतिरोध से चीजें काफी हद तक बदल सकती हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में 2012 तक एक दशक तक प्रति दस लाख महिलाओं पर बलात्कार की संख्या लगभग एक जैसी ही रही। 2012 की घटना के बाद यह संख्या काफी बढ़ गई।