दुनिया का आश्चर्य नहीं तो और क्या:कैलास (मंदिर)

१०००+ साल पहले कारीगरों की १० पीढ़ियों द्वारा २०० साल की अवधि में निर्मित। विश्व की सबसे बड़ी महापाषाण संरचना पहाड़ की चोटी से शुरू हुई और 400,000,000 किलोग्राम पत्थर, हाथ से तराशी हुई और नीचे की ओर उकेरी गई।

दुनिया का आश्चर्य नहीं तो और क्या:कैलास (मंदिर)

दुनिया का आश्चर्य नहीं तो और क्या:कैलास (मंदिर) 

कैलास (मंदिर) संसार में अपने ढंग का अनूठा वास्तु जिसे मालखेड स्थित राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम) (757-783 ई0) में निर्मित कराया था। यह एलोरा (जिला औरंगाबाद) स्थित लयण-श्रृंखला में है।


कैलास मन्दिर में पत्थर को काटकर बना सुन्दर स्तम्भ


अन्य लयणों की तरह भीतर से कोरा तो गया ही है, बाहर से मूर्ति की तरह समूचे पर्वत को तराश कर इसे द्रविड़ शैली के मंदिर का रूप दिया गया है। अपनी समग्रता में २७६ फीट लम्बा , १५४ फीट चौड़ा यह मंदिर केवल एक चट्टान को काटकर बनाया गया है।

इसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया है। इसके निर्माण के क्रम में अनुमानत: ४० हज़ार टन भार के पत्थारों को चट्टान से हटाया गया। इसके निर्माण के लिये पहले खंड अलग किया गया और फिर इस पर्वत खंड को भीतर बाहर से काट-काट कर 90 फुट ऊँचा मंदिर गढ़ा गया है।

मंदिर के भीतर और बाहर चारों ओर मूर्ति-अलंकरणों से भरा हुआ है। इस मंदिर के आँगन के तीन ओर कोठरियों की पाँत थी जो एक सेतु द्वारा मंदिर के ऊपरी खंड से संयुक्त थी। अब यह सेतु गिर गया है। सामने खुले मंडप में नन्दी है और उसके दोनों ओर विशालकाय हाथी तथा स्तंभ बने हैं। यह कृति भारतीय वास्तु-शिल्पियों के कौशल का अद्भुत नमूना है।

१०००+ साल पहले कारीगरों की १० पीढ़ियों द्वारा २०० साल की अवधि में निर्मित। विश्व की सबसे बड़ी महापाषाण संरचना पहाड़ की चोटी से शुरू हुई और 400,000,000 किलोग्राम पत्थर, हाथ से तराशी हुई और नीचे की ओर उकेरी गई।
कैलाश मंदिर, एलोरा, निर्माण हमेशा नीचे की ओर जाता है.