नवी मुंबई नेरुल में महाशिवरात्रि पर दिखी लोगो की भारी भीड़

महाशिवरात्रि का विशेष पर्व आज 01 मार्च दिन मंगलवार को है. शिव (Lord Shiva) कृपा पाने के लिए विधि विधान से पूजा अर्चना (Puja) की जाती है और व्रत (Vrat) रखा जाता है. महाशिवरात्रि के दिन जो लोग व्रत रखते हैं, वे शिव पुराण में वर्णित व्रत कथा का पाठ करते हैं. इस व्रत कथा को पढ़ने से सारे पाप मिटते हैं और मृत्यु के बाद शिव लोग के स्थान प्राप्त होता है. यह व्रत कथा एक शिकारी चित्रभानु की है.

Mahashivratri 2022 Katha:

महाशिवरात्रि का विशेष पर्व आज 01 मार्च दिन मंगलवार को है. शिव (Lord Shiva) कृपा पाने के लिए विधि विधान से पूजा अर्चना (Puja) की जाती है और व्रत (Vrat) रखा जाता है. महाशिवरात्रि के दिन जो लोग व्रत रखते हैं, वे शिव पुराण में वर्णित व्रत कथा का पाठ करते हैं. इस व्रत कथा को पढ़ने से सारे पाप मिटते हैं और मृत्यु के बाद शिव लोग के स्थान प्राप्त होता है. यह व्रत कथा एक शिकारी चित्रभानु की है. आइए जानते हैं महाशिवरात्रि व्रत कथा (Mahashivratri Vrat Katha) के बारे में.

महाशिवरात्रि व्रत कथा
​शिव पुराण के अनुसार, एक नगर में चित्रभानु नामक शिकारी परिवार के साथ रहता था. उस पर साहूकार का कर्ज था. कर्ज न चुकाने पर उसे बंदी बना लिया गया. उस दिन शिवरात्रि थी. वह भूखे प्यासे रहा और दिनभर शिव का स्मरण करता रहा. शाम को साहूकार ने चित्रभानु को छोड़ दिया और एक दिन के अंदर कर्ज चुकाने को कहा.

उसी हालत में चित्रभानु जंगल की ओर गया, ताकि कोई शिकार मिल जाए. रात हो गई, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. वह एक तालाब के पास पहुंचा और वहां एक बेल के पेड़ पर चढ़ गया. उस बेल के नीचे शिवलिंग था. इस बात की ज्ञान उसे नहीं था. वह रात में बेलपत्र तोड़ तोड़कर शिवलिंग पर गिरा रहा था.

उसने दिन और रात कुछ भी नहीं खाया था, ऐसे में उससे शिवरात्रि का व्रत हो गया और बेलपत्र से शिव पूजन. रात बीतने पर एक हिरणी तालाब में पानी पीने आई, वह गर्भवती थी. उधर मौके की ताक में बैठा चित्रभानु धनुष और बाण लेकर कर शिकार के लिए तैयार था.

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तभी हिरणी की नजर उस पर पड़ी. तब उसने चित्रभानु से कहा कि उसके पेट में बच्चा है. जल्द ही उसका प्रसव हो जाएगा. वह बच्चे को जन्म देकर इस स्थान पर फिर आएगी, तब तुम शिकार कर लेना. अभी शिकार करोगे, तो तुम दो जीव को मार डालोगे. शिकारी उसकी बात मान गया और हिरणी को वापस जाने दिया.

उसी बीच पेड़ से कुछ बेलपत्र उसने फिर शिवलिंग पर गिराए, जिससे रात्रि के प्रथम प्रहर की शिव पूजा हो गई. कुछ समय बाद एक और हिरणी वहां से जा रही थी, तभी चित्रभानु ने उस पर निशाना साध लिया. उस हिरणी ने शिकारी से निवेदन किया कि वह अपने पति को खोज रही है, वह पति से मिल लेगी, उसके बाद तुम्हारे पास आएगी. शिकारी ने उसे भी जाने दिया.


रात के आखिरी प्रहर में भी चित्रभानु ने कुछ बेलपत्र भूलवश शिवलिंग पर गिरा दिया. इससे आखिरी प्रहर की भी शिव पूजा हो गई. तभी एक और हिरणी अपने बच्चों के साथ जा रही थी. उसने भी शिकारी से कहा कि उसे छोड दे, बच्चो को इनके पिता को देकर जब वह आएगी, तब तुम शिकार कर लेना.

इस चित्रभानु ने कहा कि तुम से पहले दो शिकार छोड़ चुका है, अब वह गलती नहीं करेगा. हिरणी ने कहा कि ​वह वचन की पक्की है, जरूर लौट कर आएगी. वह भी चली गई. इधर शिकारी की शिव पूजा और रात्रि जागरण अनजाने में हो गया. सुबह होते ही एक हिरण वहां से गुजरा, तो शिकारी ने उसका शिकार करने का मन बना लिया.