Chandivali ₹12.50 Crore Pressure Cooker Scam: सहायक नगर आयुक्त की असहयोग के कारण पुलिस जांच में अड़चन - THE PUBLIC NEWS 24
चांदिवली ₹12.50 करोड़ प्रेशर कुकर घोटाला: सहायक नगर आयुक्त की असहयोग के कारण पुलिस जांच में अड़चन, शिकायतकर्ता ने विधायक के बयान की मांग की
मुंबई: चांदिवली में हुए ₹12.50 करोड़ के प्रेशर कुकर घोटाले की जांच में बड़ी अड़चन आ रही है क्योंकि 'एल' वार्ड के सहायक नगर आयुक्त की असहयोगात्मक भूमिका ने पुलिस की जांच को बाधित कर दिया है। पुलिस ने दावा किया है कि वार्ड अधिकारी विभिन्न कारणों से अपना बयान दर्ज कराने के लिए उपलब्ध नहीं हो रहे हैं, जिससे विधायक दिलीप लांडे का बयान दर्ज करने में भी कठिनाई हो रही है। लांडे अभी भी बीएमसी के कुकर वितरण का कार्य कर रहे हैं, जो कि घोटाले का हिस्सा बताया जा रहा है।
ALOK SHUKLA Updated: Thursday, August 29, 2024, 02:28 AM IST
इस मामले में पहले खबर आई थी कि बीएमसी ने बाजार मूल्य से चार गुना अधिक कीमत पर 50,000 प्रेशर कुकर खरीदे और इन्हें विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए लांडे द्वारा वितरित कराया गया। शिकायतकर्ता एडवोकेट निखिल कांबले ने इस घोटाले की शिकायत बीएमसी और पुलिस में की है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
हालांकि, पुलिस आयुक्त के निर्देश पर साकीनाका पुलिस स्टेशन ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन बीएमसी की ओर से कोई आधिकारिक जांच नहीं की गई है। वहीं, 'एल' वार्ड के सहायक आयुक्त धनाजी हेरलेकर ने बयान दर्ज कराने में लगातार देरी की है, जिससे मामले में और भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
शिकायतकर्ता ने अब विधायक दिलीप लांडे के बयान की मांग की है, ताकि घोटाले की सच्चाई सामने आ सके।
चांदिवली, मुंबई में ₹12.50 करोड़ के प्रेशर कुकर से जुड़ा एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है, जिसने सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को लेकर गंभीर चिंताएं बढ़ा दी हैं। यह घोटाला एक सरकारी पहल के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रेशर कुकर की खरीद और वितरण से जुड़ा हुआ है।
घोटाले का खुलासा
घोटाला कथित तौर पर बढ़ी हुई लागत, नकली लाभार्थियों और फर्जी वितरण के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों के नेटवर्क की संलिप्तता बताई जा रही है। जिन प्रेशर कुकरों को हजारों जरूरतमंद परिवारों में वितरित किया जाना था, वे या तो कभी वितरित नहीं किए गए या फिर उन्हें अत्यधिक बढ़ी हुई कीमतों पर खरीदा गया, जिससे सार्वजनिक खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है।
घोटाला कैसे हुआ
सूत्रों के अनुसार, प्रेशर कुकर बाजार दर से काफी अधिक कीमत पर खरीदे गए, और कथित तौर पर अधिकारियों और आपूर्तिकर्ताओं के बीच रिश्वत बांटी गई। इसके अलावा, कई मामलों में, कुकरों को इच्छित लाभार्थियों को कभी भी वितरित नहीं किया गया। इसके बजाय, यह दिखाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए कि कुकर वितरित किए गए हैं, जबकि धन का गबन किया गया।
जांच और गिरफ्तारियां
व्हिसलब्लोअर्स और स्थानीय कार्यकर्ताओं की शिकायतों के बाद जांच शुरू की गई, जिससे धोखाधड़ी की पूरी हकीकत उजागर हो गई। खरीद और वितरण प्रक्रिया में शामिल कई अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, और गायब धन का पता लगाने और दोषियों को सज़ा दिलाने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
राजनीतिक उथल-पुथल
घोटाले से राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है, जिसमें विपक्षी पार्टियां जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग कर रही हैं और सभी सरकारी खरीद प्रक्रियाओं की गहन जांच की मांग कर रही हैं। उन्होंने सरकारी निगरानी तंत्र पर भी सवाल उठाए हैं, यह पूछते हुए कि इतनी बड़ी धोखाधड़ी इतने लंबे समय तक कैसे अनदेखी हो सकती है।इस घोटाले ने चांदिवली के हजारों आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को वादा किए गए सहयोग से वंचित कर दिया है, जिससे सरकारी योजनाओं में सख्त निगरानी और पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। प्रभावित परिवार, जिन्हें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में सुधार के लिए कुकर मिलने वाले थे, अब निराश और ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
आगे क्या होगा?
जांच जारी रहने के साथ-साथ भ्रष्टाचार निरोधक उपायों और खरीद प्रक्रिया में सुधार के लिए आवाज उठाई जा रही है, ताकि भविष्य में ऐसे घोटालों को रोका जा सके। जनता यह बारीकी से देख रही है कि अधिकारी इस मामले को कैसे संभालते हैं और क्या न्याय किया जाएगा।
चांदिवली प्रेशर कुकर घोटाला सार्वजनिक खर्च में सतर्कता और जवाबदेही की आवश्यकता की एक कड़ी याद दिलाता है, विशेष रूप से उन योजनाओं में जो समाज के सबसे कमजोर वर्गों की मदद करने के लिए बनाई जाती हैं।