Badlapur Sexual Abuse Case : बच्चियों के यौन शोषण का जिम्मेदार कौन? स्कूल में CCTV खराब, सखी सावित्री समिति का अभाव

CCTV कैमरे काम क्यों नहीं कर रहे थे? जांच में यह पाया गया कि स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरे खराब थे। मार्च 2022 में ऐसी ही घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने सभी स्कूलों में काम करने वाले सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य किए थे, लेकिन इस स्कूल में इन गाइडलाइनों का पालन नहीं किया गया।

Badlapur Sexual Abuse Case : बच्चियों के यौन शोषण का जिम्मेदार कौन? स्कूल में CCTV खराब, सखी सावित्री समिति का अभाव

बदलापुर, 20 अगस्त: महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापुर में एक स्कूल के अंदर दो मासूम बच्चियों के यौन शोषण के बाद शहर में गुस्से की लहर दौड़ गई है। 13 से 15 अगस्त के बीच, स्कूल में काम करने वाले एक सफाई कर्मचारी ने 3 और 4 साल की दो नाबालिग बच्चियों के साथ यौन शोषण किया। यह मामला तब सामने आया जब पीड़ित बच्चियों में से एक ने अपने माता-पिता को इसकी जानकारी दी।

24 वर्षीय आरोपी अक्षय शिंदे को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन इस घटना ने स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी और राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मंगलवार को हजारों नाराज नागरिक, शिक्षक और माता-पिता ने सड़क पर उतरकर न्याय की मांग की और जिम्मेदारों से जवाबदेही की मांग की।

स्कूल की विफलता और सवाल

  1. नौकरी पर रखने से पहले बैकग्राउंड चेक क्यों नहीं? आरोपी को एक प्राइवेट एजेंसी के जरिए 1 अगस्त को स्कूल में काम पर रखा गया था। महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (MSCPCR) की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने सवाल उठाया कि क्या आरोपी का बैकग्राउंड चेक किया गया था। उन्होंने कहा, "कैसे एक पुरुष कर्मचारी को लड़कियों के वॉशरूम तक जाने की इजाजत दी गई? यह स्कूल प्रशासन की गंभीर विफलता है।"

  2. CCTV कैमरे काम क्यों नहीं कर रहे थे? जांच में यह पाया गया कि स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरे खराब थे। मार्च 2022 में ऐसी ही घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने सभी स्कूलों में काम करने वाले सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य किए थे, लेकिन इस स्कूल में इन गाइडलाइनों का पालन नहीं किया गया।

  3. सखी सावित्री समिति का अभाव: मार्च 2022 में राज्य सरकार ने सभी स्कूलों में सखी सावित्री समितियों के गठन का आदेश दिया था, लेकिन बदलापुर के इस स्कूल में ऐसी कोई समिति नहीं थी। इस समिति का उद्देश्य छात्राओं को शारीरिक और मानसिक खतरों से सुरक्षित रखना है, लेकिन इस महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय का पालन नहीं किया गया।

  4. एफआईआर दर्ज करने में देरी: घटना के बाद एफआईआर दर्ज करने में 12 घंटे की देरी ने जनता के गुस्से को और बढ़ा दिया। डीसीपी सुधाकर पठारे ने कहा कि प्रक्रिया समय लेने वाली थी, लेकिन जनता इसे प्रशासन की लापरवाही मान रही है।

सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी

इस घटना ने राज्य सरकार, पुलिस प्रशासन और स्कूल प्रशासन की विफलताओं को उजागर किया है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने मांग की है कि हर पुलिस स्टेशन में महिलाओं और बच्चों से जुड़े मामलों के लिए एक अलग मिनी पुलिस स्टेशन बनाया जाए।

मंगलवार को राज्य के शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने स्कूलों के लिए नए गाइडलाइंस जारी किए हैं, जिनमें कर्मचारियों का नियमित रोटेशन, छोटे बच्चों के लिए महिला कर्मचारियों की अनिवार्यता, और स्कूलों में इमरजेंसी अलार्म की व्यवस्था शामिल है।

हालांकि, जनता अब भी सवाल पूछ रही है कि इतने बड़े सुरक्षा चूक के बावजूद स्कूल प्रशासन और सरकार की ओर से जवाबदेही क्यों नहीं ली जा रही है। बच्चियों की सुरक्षा से जुड़ा यह मामला सिर्फ बदलापुर का नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक चेतावनी है। जब तक जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे, ऐसी घटनाओं पर रोक लगाना मुश्किल होगा।