केरल फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की कार्यवाही पर महाराष्ट्र फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन मौन क्यों ? फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का दोहरा रवैया !!!

  फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़डीए) पर लुभावने विज्ञापनों के माध्यम से आम जनता को धोखा देने और आयुर्वेदिक दवाओं में अंग्रेजी दवाओं की मिलावट के मामलों को अनदेखा करने के आरोप लगे हैं। ये आरोप न केवल उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहे हैं बल्कि देश की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की साख को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।

केरल फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की कार्यवाही पर महाराष्ट्र फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन मौन क्यों ?  फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का दोहरा रवैया !!!

फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का दोहरा रवैया: लुभावने विज्ञापनों से आम जनता को धोखा, आयुर्वेदिक दवाओं में अंग्रेजी

दवाओं की मिलावट . 

Kerala : 20.07.2024   फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़डीए) पर लुभावने विज्ञापनों के माध्यम से आम जनता को धोखा देने और आयुर्वेदिक दवाओं में अंग्रेजी दवाओं की मिलावट के मामलों को अनदेखा करने के आरोप लगे हैं। ये आरोप न केवल उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहे हैं बल्कि देश की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की साख को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।

लुभावने विज्ञापन:

आम जनता को आकर्षित करने के लिए एफडीए द्वारा अनुमोदित उत्पादों के विज्ञापनों में बढ़-चढ़कर दावे किए जाते हैं। इन विज्ञापनों में कभी-कभी उत्पाद की वास्तविक क्षमता और प्रभावशीलता से संबंधित भ्रामक जानकारी होती है, जिससे उपभोक्ताओं को गलत जानकारी मिलती है और वे उन उत्पादों का उपयोग करने लगते हैं जो उनकी अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते।

आयुर्वेदिक दवाओं में मिलावट:

हाल के शोध और जांच से पता चला है कि कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में अंग्रेजी दवाओं की मिलावट की जा रही है। यह मिलावट न केवल आयुर्वेदिक उपचार की विश्वसनीयता को कम करती है, बल्कि उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करती है। कई मामलों में, इन मिलावटी दवाओं के कारण साइड इफेक्ट्स और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं सामने आई हैं।फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की लापरवाही और दोहरे रवैये के चलते आम जनता को दवाओं के नाम पर धोखा दिया जा रहा है। राजस्थान औषधालय प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक गोलियों और चूर्ण में अंग्रेजी दवाओं की मौजूदगी की पुष्टि होने के बाद यह मामला सामने आया है।

आयुर्वेदिक दवाओं में अंग्रेजी दवाओं की मिलावट

राजस्थान औषधालय प्राइवेट लिमिटेड: इस कंपनी के विभिन्न आयुर्वेदिक उत्पादों में पैरासिटामोल, सिल्डेनाफिल सिट्रेट, डाइक्लोफेनाक डाईएथाइलअमाइन, मिथाइल सैलिसिलेट, क्लोट्रिमाजोल, डिसुल्फिरम, एथोफिलाइन और थियोफिलाइन जैसी अंग्रेजी दवाएं पाई गई हैं।

केरल फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की कार्यवाही पर महाराष्ट्र फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन मौन क्यों?

 केरल फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़डीए) द्वारा हाल ही में उठाए गए कड़े कदमों और आयुर्वेदिक दवाओं में मिलावट के मामलों की जांच ने देशभर में हलचल मचा दी है। हालांकि, इस मामले पर महाराष्ट्र फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़डीए) की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

केरल एफडीए की कार्यवाही:

केरल एफडीए ने हाल ही में आयुर्वेदिक दवाओं में अंग्रेजी दवाओं की मिलावट के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। कई दवा कंपनियों के लाइसेंस निलंबित किए गए हैं और उत्पादों को बाजार से हटा लिया गया है। इस कार्यवाही ने देशभर के उपभोक्ताओं में जागरूकता और विश्वास को बढ़ावा दिया है।  केरल एफडीए की सख्त कार्यवाही ने एक मिसाल कायम की है, जिससे महाराष्ट्र और अन्य राज्यों को प्रेरणा मिलनी चाहिए। महाराष्ट्र एफडीए को अपनी चुप्पी तोड़कर दवाओं की गुणवत्ता और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए। इससे न केवल राज्य के लोगों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि दवा उद्योग में भी सुधार आएगा।

महाराष्ट्र एफडीए का रुख:

महाराष्ट्र एफडीए ने अपनी चुप्पी के बावजूद, राज्य में दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए हैं। हालांकि, केरल एफडीए की तरह सख्त कदम उठाने में उनकी गति धीमी रही है। महाराष्ट्र एफडीए को स्थानीय उपभोक्ताओं और मीडिया के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, ताकि जनता को दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा के प्रति सचेत किया जा सके। राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से महाराष्ट्र एफडीए को दवा मिलावट के मामलों की संयुक्त जांच करनी चाहिए।

प्रभावित उत्पाद:

  • पेन निवारण चूर्ण
  • डॉ. रिलैक्सी कैड्यूल
  • रिलैक्सी ऑयल
  • दमा बूटी चूर्ण
  • सुरारी चूर्ण
  • अस्टालेक्स पिल
  • अन्य दवाएं: विशेष रूप से पैरासिटामोल की मौजूदगी कई पाउडर और गोलियों में पाई गई है।

जांच का विवरण:

शुरुआती परीक्षण में राज्य ड्रग्स कंट्रोलर कंपनी से प्राप्त नमूनों में अंग्रेजी दवाओं की मौजूदगी नहीं पाई गई थी। हालांकि, डॉक्टरों की शिकायतों के बार-बार आने के बाद एक अधिक गहन जांच की गई। चिकित्सा स्टोर्स और अस्पतालों से लिए गए नमूनों की सीधी जांच में अंग्रेजी दवाओं की पुष्टि हुई।

नियामक कार्रवाई:

राज्य में प्रभावित 14 बैचों की दवाओं के वितरण और बिक्री को तुरंत रोकने का आदेश जारी किया गया है। इस फैसले का उद्देश्य जनता को इन मिलावटी आयुर्वेदिक उत्पादों के संभावित हानिकारक प्रभावों से बचाना है।

स्वास्थ्य जोखिम: आयुर्वेदिक उत्पादों में अंग्रेजी दवाओं की मिलावट उपभोक्ताओं के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है, जो इसके घटकों और संभावित दुष्प्रभावों से अनजान होते हैं।

प्रभावित उत्पाद:

  • पेन निवारण चूर्ण
  • डॉ. रिलैक्सी कैड्यूल
  • रिलैक्सी ऑयल
  • दमा बूटी चूर्ण
  • सुरारी चूर्ण
  • अस्तालेक्स पिल
  • अन्य उत्पाद: विशेष रूप से पैरासिटामोल की मौजूदगी कई पाउडर और गोलियों में पाई गई है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा पर भरोसा:

इस घटना से आयुर्वेदिक चिकित्सा पर जनता का भरोसा कम हो सकता है, जो प्राकृतिक और समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण के लिए जानी जाती है।यह मामला चिकित्सा उत्पादों की सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए कठोर नियामक कड़ी और प्रवर्तन की आवश्यकता को उजागर करता है।उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे सूचीबद्ध उत्पादों का उपयोग न करें और यदि उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई चिंता है तो अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से परामर्श करें।प्राधिकरण कंपनी के अन्य उत्पादों की निगरानी और जांच जारी रखेंगे ताकि सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित हो सके।दवा सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डालने के लिए कंपनी के खिलाफ संभावित कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। राजस्थान हिल बल इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक उत्पादों में अंग्रेजी दवाओं की खोज एक गंभीर चिंता का विषय है। डिप्टी ड्रग्स कंट्रोलर द्वारा प्रभावित बैचों की बिक्री और वितरण को रोकने की त्वरित कार्रवाई सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम है। उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को सतर्क रहना चाहिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नियामक निकायों को सख्त उपाय लागू करने चाहिए।

सरकार और एफडीए की प्रतिक्रिया:

एफडीए की भूमिका:

एफडीए की जिम्मेदारी है कि वह बाजार में उपलब्ध दवाओं और स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा की निगरानी करे। लेकिन, लुभावने विज्ञापनों और मिलावटी दवाओं के मामले सामने आने से एफडीए की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

सरकारी कार्रवाई:

सरकार ने इन मामलों को गंभीरता से लिया है और एफडीए को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत, आयुर्वेदिक और अंग्रेजी दवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है।

उपभोक्ताओं के लिए सलाह:

  1. विज्ञापनों पर विश्वास न करें: लुभावने विज्ञापनों के बजाय उत्पाद की प्रमाणिकता और गुणवत्ता की जांच करें।
  2. प्रमाणित उत्पाद चुनें: केवल एफडीए द्वारा प्रमाणित उत्पादों का ही उपयोग करें और दवा खरीदने से पहले उसके लेबल और सामग्री की अच्छी तरह जांच करें।
  3. स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लें: किसी भी नई दवा या स्वास्थ्य उत्पाद का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।

आगे की राह:

  1. जागरूकता और सहयोग: महाराष्ट्र एफडीए को स्थानीय उपभोक्ताओं और मीडिया के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, ताकि जनता को दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा के प्रति सचेत किया जा सके।

  2. संयुक्त कार्यवाही: राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से महाराष्ट्र एफडीए को दवा मिलावट के मामलों की संयुक्त जांच करनी चाहिए।

  3. संसाधनों का विकास: एफडीए को अपने संसाधनों और प्रशिक्षित कर्मियों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार से समर्थन और वित्तीय सहायता प्राप्त करनी चाहिए।

फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन पर लगे आरोपों ने देश की चिकित्सा प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वास की आवश्यकता को उजागर किया है। सरकार और संबंधित विभागों को मिलकर इन समस्याओं का समाधान करना होगा ताकि उपभोक्ताओं को सुरक्षित और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। आम जनता को भी जागरूक रहकर अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।