NMMC कमिश्नर कैलाश शिंदे: कब करेंगे प्राइवेट स्कूलों का निरीक्षण ?

आम जनता का मानना है कि NMMC और शिक्षा विभाग के अधिकारी निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने में असफल रहे हैं। लोग अब किसी भी तरह की कठोर कार्रवाई की उम्मीद छोड़ चुके हैं

NMMC कमिश्नर कैलाश शिंदे: कब करेंगे प्राइवेट स्कूलों का निरीक्षण ?

नवी मुंबई: नवी मुंबई महानगरपालिका (NMMC) के कमिश्नर कैलाश शिंदे पर आम जनता का सवाल है कि कब वे प्राइवेट स्कूलों का निरीक्षण करेंगे और इन स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर लगाम लगाएंगे। यह सवाल खासकर उन माता-पिता के मन में गूंज रहा है जो अपने बच्चों के शिक्षा संस्थानों में हो रही अनियमितताओं से परेशान हैं। नवी मुंबई में निजी स्कूलों की फीस इतनी बढ़ गई है कि प्री-प्राइमरी शिक्षा की लागत स्नातक शिक्षा की बराबरी करने लगी है। राज्य सरकार द्वारा नियुक्त शुल्क नियंत्रण समितियाँ निष्क्रिय हैं और इससे अभिभावकों का शोषण हो रहा है। पीई के लिए एक जोड़ी पैंट की कीमत 500 रुपये होती है, जबकि थोक बाजार में इसकी कीमत 100 रुपये से भी कम है। स्कूल की आपूर्ति के लिए माता-पिता से अवैध रूप से अधिक शुल्क वसूला जा रहा है।शिकायत करने के बावजूद शिक्षा विभाग से कोई जवाब नहीं मिलता है। फोन करने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती। माता-पिता यह सवाल कर रहे हैं कि उन्हें इस समस्या से निपटने के लिए क्या करना चाहिए।इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जागरूकता लाने के उद्देश्य से एक पीड़ित माता-पिता ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की वेशभूषा पहनकर वाशी स्टेशन क्षेत्र में अकेले शांतिपूर्ण अपील की। वाशी स्टेशन क्षेत्र से गुजरने वाले कई नागरिकों ने इस मुद्दे पर अपना समर्थन जताया। आम आदमी पार्टी नवी मुंबई भी इस मुद्दे का समर्थन करती है।

मुख्य मुद्दे:

  1. मनमानी फीस वसूली: निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली के खिलाफ अभी तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई है। माता-पिता का आरोप है कि स्कूल बिना उचित कारण के फीस बढ़ा रहे हैं और इसका भार उन पर डाल रहे हैं।
  2. CCTV और सुरक्षा: न तो निजी स्कूलों में अभी तक CCTV कैमरे लगे हैं और न ही स्कूल बसों में लगे कैमरे ठीक से काम कर रहे हैं। यह सुरक्षा के लिहाज से एक गंभीर मुद्दा है।
  3. गुंडा गर्दी और दमन: निजी स्कूलों की गुंडा गर्दी की घटनाएं भी सामने आई हैं, जहां सवाल पूछने पर या तो माता-पिता के खिलाफ झूठे केस दर्ज कर दिए जाते हैं या फिर बच्चों को स्कूल से निकाल दिया जाता है।

प्रशासन की उदासीनता:

आम जनता का मानना है कि NMMC और शिक्षा विभाग के अधिकारी निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने में असफल रहे हैं। लोग अब किसी भी तरह की कठोर कार्रवाई की उम्मीद छोड़ चुके हैं।

कठोर कार्यवाही की मांग:

  1. फीस नियंत्रण: जनता मांग कर रही है कि NMMC कमिश्नर कैलाश शिंदे और शिक्षा विभाग तत्काल निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर लगाम लगाएं और एक निश्चित फीस संरचना निर्धारित करें।
  2. सुरक्षा उपाय: सभी निजी स्कूलों और स्कूल बसों में CCTV कैमरे अनिवार्य रूप से लगाए जाएं और उनकी नियमित निगरानी की जाए।
  3. सख्त कानून: स्कूलों की गुंडा गर्दी और दमन के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाएं और इन पर अमल किया जाए।

स्कूल बस में ना CCTV कैमरा, ना ही बच्चों की सुरक्षा: स्कूल की मनमानी पर  लगाम कब ? - The Public News 24

जनता का सवाल:

जनता का कहना है कि अधिकतर निजी स्कूल या तो बड़े राजनेताओं के होते हैं या फिर बड़ी पहुंच वाले अधिकारियों के। इन स्कूलों में अधिकारी और नेताओं के बच्चे भी पढ़ते हैं, जिससे कठोर कार्यवाही की संभावना और भी कम हो जाती है।

निष्कर्ष:

आम जनता की मांग है कि NMMC कमिश्नर कैलाश शिंदे निजी स्कूलों का निरीक्षण करें और उनकी मनमानी फीस वसूली, सुरक्षा उपायों की कमी और गुंडा गर्दी पर कठोर कार्रवाई करें। जनता का यह सवाल भी सही है कि आखिरकार निजी स्कूल CCTV कैमरे क्यों नहीं लगा रहे हैं? क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनकी लापरवाही उजागर हो जाएगी। प्रशासन को जनता की इन मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।