हर क्षेत्र में स्‍टील का उपयोग करने वालों की संख्‍या बढ़ेगी |

भारत में इस्पात क्षेत्र ने आजादी के समय के एक मिलियन टन से पिछले वित्तीय वर्ष में 120 मिलियन टन तक का एक आकर्षक सफर तय किया है।

हर क्षेत्र में स्‍टील का उपयोग करने वालों की संख्‍या बढ़ेगी |

हर क्षेत्र में स्‍टील का उपयोग करने वालों की संख्‍या बढ़ेगी |
 
इस्पात मंत्रालय ने लौह और इस्पात क्षेत्र में धातुकर्मियों को मान्यता देने के लिए राष्ट्रीय धातुकर्मी पुरस्कार प्रदान किये |

भारत में इस्पात क्षेत्र ने आजादी के समय के एक मिलियन टन से पिछले वित्तीय वर्ष में 120 मिलियन टन तक का एक आकर्षक सफर तय किया है। केन्‍द्रीय इस्‍पात मंत्री श्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने कल शाम नई दिल्‍ली में राष्ट्रीय धातुकर्मी पुरस्कार-2021 प्रदान करने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही।

इस्पात मंत्री, श्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने अपने संबोधन में विस्तार से बताया कि स्टील की बहु उपयोगिता और इसके लम्‍बे समय तक चलने के कारण उन्हें उम्मीद है कि सभी क्षेत्रों में स्टील के उपयोग में उछाल देखने को मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उपयोग के नए क्षेत्र जैसे ड्रोन प्रौद्योगिकी की तैनाती में वृद्धि इस्पात कंपनियों को पर्याप्त अवसर प्रदान करेंगे।

इस्‍पात मंत्री ने कहा, उन्हें उम्मीद है कि लौह और इस्पात क्षेत्र में स्वदेशी अनुसंधान और विकास अगले स्तर तक बढ़ेगा और आने वाले समय में इस क्षेत्र के विकास में सबसे महत्‍वपूर्ण होगा।

इस्पात सचिव श्री संजय सिंह ने कहा कि भारतीय इस्पात उद्योग परिवर्तन के दौर में है। परिवर्तन के इस चरण को केवल मजबूत अनुसंधान और विकास द्वारा चलाया जा सकता है, जो हरित स्‍टील की आवश्यकता को पूरा करेगा, कार्बन उत्सर्जन को कम करेगा और इस्पात उत्पादन में दक्षता हासिल करेगा।

इस्पात मंत्रालय ने स्‍क्रीनिंग समिति और चयन समिति के दो चरण वाले तंत्र की मदद से बेहद कुशलतापूर्वक और पारदर्शी तरीके से राष्ट्रीय धातुकर्मी पुरस्कार विजेताओं को चुना है। मंत्रालय द्वारा एक अधिसूचना के माध्यम से पुरस्कार प्रक्रिया में भाग लेने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे।

     

ये पुरस्कार धातु विज्ञानियों के उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देने के लिए स्थापित किए गए हैंजो विनिर्माणअनुसंधान एवं विकासडिजाइनअपशिष्ट प्रबंधनशिक्षाऊर्जा संरक्षण के क्षेत्रों को शामिल करने वाले लौह और इस्पात उद्योग की मूल्य श्रृंखला में काम कर रहे हैं और अंतत: जो इस्पात क्षेत्र को आत्‍मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

इस्पात मंत्रालय को उम्मीद है कि युक्तिसंगत पुरस्कार लौह और इस्पात उद्योग के क्षेत्र में काम करने वाले धातुकर्मियों के लिए प्रेरक का काम करेंगे।