स्कूल की मनमानी पर लगाम कब ? नवी मुंबई स्कूल बसों में न CCTV कैमरा, न ही बच्चों की सुरक्षा
नवी मुंबई: स्कूल बसों में न CCTV कैमरा, न ही बच्चों की सुरक्षा : स्कूल की मनमानी पर लगाम कब ?
मुंबई, [राज्य ब्यूरो] - नवी मुंबई और मुंबई के कई निजी स्कूलों में अभी तक सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सरकारी नियमों की स्पष्ट अवहेलना है। यह गंभीर सवाल उठाता है कि आखिर बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा और इस लापरवाही का जवाबदेह कौन है। निजी स्कूल हर साल अपनी फीस में वृद्धि करते हैं, जिसका कारण अक्सर बेहतर शिक्षा, सुविधाएं और विकास के लिए आवश्यक धनराशि बताई जाती है। हालांकि, यह देखा जा रहा है कि इन शुल्कों का उपयोग बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नहीं किया जा रहा है।बच्चों की सुरक्षा किसी भी स्कूल की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षित परिवहन, प्रशिक्षित स्टाफ और स्कूल परिसर में सुरक्षित वातावरण इन प्राथमिकताओं में शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश इसी उद्देश्य से दिया गया था, ताकि स्कूल बसों और स्कूल परिसर में किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके और उसकी निगरानी की जा सके।
सरकारी नियम और कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के सभी स्कूलों को यह निर्देश दिया था कि वे स्कूल बसों और स्कूल परिसरों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं। यह आदेश बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिया गया था। सरकारी नियमों के तहत भी यह आवश्यक है कि स्कूल बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करें।
मौजूदा स्थिति
नवी मुंबई और मुंबई के कई निजी स्कूलों में अभी तक सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं। यह स्थिति न केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है, बल्कि बच्चों की सुरक्षा के प्रति स्कूल प्रशासन की लापरवाही को भी दर्शाती है।
जिम्मेदार कौन ?
- स्कूल प्रशासन:
- सबसे पहले, निजी स्कूलों का प्रशासन इस लापरवाही के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है। जब उच्च शुल्क वसूला जा रहा है, तो सुरक्षा मानकों को पूरा करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी बनती है।
- शिक्षा विभाग:
- शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हो। नियमित निरीक्षण और जांच के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी स्कूलों ने सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं।
- स्थानीय प्रशासन:
- स्थानीय प्रशासन, विशेष रूप से नगर निगम और पुलिस, को स्कूल सुरक्षा के नियमों के पालन की निगरानी करनी चाहिए।
सीसीटीवी कैमरे न लगने के कारण
- वित्तीय बाधाएं:
- कुछ स्कूल वित्तीय कठिनाइयों का हवाला देते हैं, लेकिन जब उच्च शुल्क लिया जा रहा है, तो यह तर्क उचित नहीं ठहरता।
- प्रशासनिक उपेक्षा:
- कई मामलों में यह देखा गया है कि प्रशासनिक उपेक्षा के कारण आदेश का पालन नहीं हो पाता।
- समय की कमी:
- कुछ स्कूल यह भी दावा करते हैं कि उन्हें आदेश का पालन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला।
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निजी स्कूलों की जिम्मेदारी
निजी स्कूलों को इस बात को समझना चाहिए कि बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देना उनकी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है। जब अभिभावक उच्च शुल्क का भुगतान करते हैं, तो वे न केवल बेहतर शिक्षा बल्कि बच्चों की पूर्ण सुरक्षा की भी उम्मीद करते हैं। फीस में वृद्धि करते समय सुरक्षा उपायों में निवेश करना अत्यावश्यक है।
प्रशासन और सरकार की भूमिका
शिक्षा और परिवहन विभाग को सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी निजी स्कूल सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करें। नियमित निरीक्षण और जांच द्वारा यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि स्कूलों ने सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं और अन्य सुरक्षा उपाय किए हैं। आदेश का पालन न करने वाले स्कूलों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, जिसमें जुर्माना और मान्यता रद्द करने जैसे कदम शामिल हो सकते हैं।
अभिभावकों की भूमिका
अभिभावकों को भी अपनी आवाज उठानी चाहिए और स्कूल प्रशासन से बच्चों की सुरक्षा के उपायों के बारे में जानकारी मांगनी चाहिए। यदि स्कूल सुरक्षा के मानकों को पूरा नहीं करते हैं, तो अभिभावक इसे संबंधित अधिकारियों के सामने उठा सकते हैं और कार्रवाई की मांग कर सकते हैं।
समाधान
- सख्त निरीक्षण और जुर्माना:
- सरकार और शिक्षा विभाग को सख्त निरीक्षण करना चाहिए और आदेश का पालन न करने वाले स्कूलों पर भारी जुर्माना लगाना चाहिए।
- अभिभावकों की जागरूकता:
- अभिभावकों को भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और स्कूल प्रशासन से बच्चों की सुरक्षा के उपायों के बारे में जानकारी मांगनी चाहिए।
- सरकार की वित्तीय सहायता:
- यदि कुछ स्कूल वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, तो सरकार को उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करनी चाहिए।
निष्कर्ष
बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सरकारी नियमों का पालन करना सभी स्कूलों की जिम्मेदारी है। नवी मुंबई और मुंबई के निजी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरों की अनुपस्थिति एक गंभीर मुद्दा है और इसे तुरंत सुलझाने की आवश्यकता है। सभी संबंधित पक्षों - स्कूल प्रशासन, शिक्षा विभाग, स्थानीय प्रशासन और अभिभावकों - को मिलकर काम करना चाहिए ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और भविष्य में ऐसी लापरवाही दोबारा न हो।
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