आरएसएस के इंद्रेश कुमार के 'अहंकारी' और 'रामद्रोही' वाले बयान पर छिड़ी बहस, विपक्ष का पलटवार

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आरएसएस के इंद्रेश कुमार के 'अहंकारी' और 'रामद्रोही' वाले बयान पर छिड़ी बहस, विपक्ष का पलटवार

जयपुर: वरिष्ठ आरएसएस प्रचारक इंद्रेश कुमार ने हाल ही में जयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान दिए गए अपने बयान से राजनीति में भूचाल ला दिया है। गुरुवार को इंद्रेश कुमार ने कहा था कि लोकसभा चुनावों में अहंकार के कारण बीजेपी 240 सीटों तक ही पहुँच पाई थी। उनके इस बयान पर विपक्ष ने तीखा पलटवार किया है।

इंद्रेश कुमार ने अपने बयान में कहा था, "2024 में राम राज्य का विधान देखिए, जिनमें राम की भक्ति थी और धीरे-धीरे अहंकार आ गया, उन्हें 240 सीटों पर रोक दिया गया।" इस बयान को उन्होंने राम भक्तों और अहंकारियों के बीच अंतर को उजागर करने के रूप में प्रस्तुत किया।

विपक्ष ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी नेताओं ने इसे अस्वीकार्य और विभाजनकारी बताया है। उनका कहना है कि इस तरह के बयान समाज में विभाजन और तनाव को बढ़ावा देते हैं। विपक्ष ने इसे भारतीय लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों के खिलाफ बताया है।

विपक्ष के पलटवार के बाद शुक्रवार शाम को इंद्रेश कुमार ने एक और बयान जारी किया। उन्होंने कहा, "ऐसा है देश का वातावरण इस समय में बहुत स्पष्ट है। जिन्होंने राम का विरोध किया वो सब सत्ता से बाहर हैं, जिन्होंने राम की भक्ति का संकल्प लिया, आज वो सत्ता में हैं। और तीसरी बार की सरकार श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बन गई है। देश उनके नेतृत्व में दिन दुगनी रात चोगुनी तरक्की करेगा, ये विश्वास जन-जन में जागृत हुआ है और ये विश्वास फले-फूले इसकी शुभकामना करते हैं।"

इस बयान के बाद भारतीय राजनीति में धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों की संवेदनशीलता एक बार फिर से उजागर हो गई है। यह घटना भारतीय समाज में विभिन्न विचारधाराओं के बीच बढ़ती खाई को भी रेखांकित करती है।

समाज के विभिन्न वर्गों में इस बयान को लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग इसे सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की रक्षा के लिए आवश्यक मानते हैं, जबकि अन्य इसे समाज में विभाजन को बढ़ावा देने वाला बताते हैं।

आगे देखना होगा कि इस बयान के बाद बीजेपी और आरएसएस की रणनीति क्या होगी और विपक्ष किस प्रकार से इसे चुनावी मुद्दा बनाकर जनता के सामने प्रस्तुत करेगा।