कोलकाता के अस्पताल में दो दुर्लभ ऑपरेशनों से याद आई ब्योमकेश बक्शी की कहानी

मरीज़ के सीने में दाहिनी ओर दर्द मोना दिल के ऑपरेशन के बाद फिलहाल पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले में अपनी पुत्री के पास रह रही हैं. उन्होंने वहीं से फोन पर बीबीसी बांग्ला को बताया, ''सीने के दाहिनी ओर दर्द शुरू होने के कुछ दिनों में सांस लेने में दिक्कत होने लगी. इसी दौरान दिल का दौरा भी पड़ गया

कोलकाता के अस्पताल में दो दुर्लभ ऑपरेशनों से याद आई ब्योमकेश बक्शी की कहानी

कोलकाता, 23 जून 2024 - कोलकाता के दो अस्पतालों में हाल में दिल के दो ऐसे ऑपरेशन हुए हैं जिनको चिकित्सक 'अति दुर्लभ' मान रहे हैं। इन दोनों मरीजों में से एक भारतीय है और दूसरा बांग्लादेशी।

आमतौर पर इंसान के शरीर में दिल सीने के बाईं ओर होता है, लेकिन इन दोनों मरीज़ों का दिल दाईं ओर है। इनमें से बांग्लादेशी महिला का सिर्फ़ दिल ही नहीं, यकृत, फेफड़े, तिल्ली (Spleen) और पेट जैसे तमाम अहम अंग भी दूसरी तरफ़ हैं। चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे मरीज़ 40 लाख में एक होते हैं।

सीने के दाहिनी ओर दिल होने की घटना बीती सदी में शरदिन्दु बंद्योपाध्याय के गढ़े किरदार ब्योमकेश बख्शी की एक कहानी "शजारूर कांटा" (पोस्ता के कांटे) की याद दिलाती है। इस कहानी में हत्या की एक कोशिश की जाती है और उसमें इसी तरह सीने के दाहिनी ओर दिल होने के वजह से एक व्यक्ति की जान बच जाती है और बाद में उसका एक दोस्त हत्यारे के तौर पर गिरफ्तार होता है। बांग्लादेश की उस महिला के अंग-प्रत्यंगों का उल्टी जगह होना कोई बीमारी नहीं है। यह जन्मजात है।

दूसरी ओर, जिस भारतीय मरीज़ के दिल का ऑपरेशन कर पेसमेकर लगाया गया है, उसका दिल जन्म के समय नहीं बल्कि उसके कुछ बड़े होने के बाद टीबी की बीमारी के कारण अपनी स्वाभाविक जगह से हट कर सीने के दाहिनी ओर चला गया था। इस ऑपरेशन में शामिल चिकित्सकों का दावा है कि दुनिया में पेसमेकर लगाने का ऐसा ऑपरेशन पहले कभी नहीं हुआ है।

इन दोनों मरीज़ों को लंबे समय तक इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके दिल या दूसरे अंग स्वाभाविक जगह की बजाय दूसरी ओर हैं। उन दोनों का इलाज अनुमान के आधार पर किया जा रहा था और उनमें से एक मरीज़ के मामले में ग़लत इलाज भी हुआ था।

बांग्लादेशी महिला का मामला:

बांग्लादेश में सातखीरा की रहने वाली मोना रानी दास नामक मरीज़ को करीब दो साल पहले सीने के दाहिनी ओर दर्द शुरू हुआ था। परिवार के लोगों ने उस समय सोचा था कि दर्द दाहिनी ओर है, इसलिए यह एसिडिटी की समस्या हो सकती है। मोना दिल के ऑपरेशन के बाद फिलहाल पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले में अपनी पुत्री के पास रह रही हैं।

उन्होंने वहीं से फोन पर बताया, "सीने के दाहिनी ओर दर्द शुरू होने के कुछ दिनों में सांस लेने में दिक्कत होने लगी। इसी दौरान दिल का दौरा भी पड़ गया। उसी समय इलाज के दौरान तमाम तरह के परीक्षणों के बाद बांग्लादेश के डॉक्टरों ने बताया कि मेरा दिल सीने के दाहिनी ओर है।"

मोना रानी की पुत्री विष्णुप्रिया दास ने बताया कि उन लोगों को उस समय भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि सिर्फ दिल ही नहीं, शरीर के दूसरे अहम अंग भी उल्टी ओर हैं। डॉक्टरों ने भरोसा दिया था कि चिंता की कोई बात नहीं है, बाईपास ऑपरेशन होने के बाद मां फिर स्वस्थ हो जाएंगी।

भारतीय मरीज़ का मामला:

रेज़ाउल करीम का दिल टीबी की बीमारी के कारण बायीं ओर से खिसक कर दायीं ओर आ गया था। करीम का ऑपरेशन मेडिका सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में किया गया था। उन्होंने बताया, "मैं बचपन से ही खेल-कूद में दिलचस्पी रखता था। खेलते समय अक्सर सांस फूलने लगती थी और खांसी होती थी। कुछ साल पहले से अचानक बेहद कमजोरी महसूस होने लगी थी।"

करीम की पुत्री मोनालिसा यास्मीन कोलकाता से वेल्लोर तक पिता के इलाज के दौरान हमेशा उनके साथ रही हैं। यास्मीन बताती हैं, "डाक्टरों ने अब्बा को पहले नहीं बताया था कि उनका दिल सीने के दायीं ओर है और इस समस्या के समाधान के लिए एक दुर्लभ ऑपरेशन करना होगा। उनके ऑपरेशन में करीब तीन घंटे लगे थे।"

डॉक्टरों के लिए कड़ी चुनौती:

मोना रानी दास का ऑपरेशन मनिपाल हॉस्पिटल ब्राडवे में डा. सिद्धार्थ मुखर्जी ने किया है जबकि मेडिका सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टर दिलीप कुमार ने रेज़ाउल करीम के सीने में पेसमेकर लगाया है। डा. मुखर्जी बताते हैं, “डेक्सट्रोकार्डिया के मरीज़ों का ऑपरेशन करना बहुत कठिन है। इस मामले में हमें मरीज़ के बायीं ओर खड़ा होकर ऑपरेशन करना पड़ा। लेकिन हमारी पूरी टीम ने इस स्थिति से तालमेल बिठा लिया था।”

भारतीय मरीज़ रेज़ाउल करीम के दिल में पेसमेकर लगाने वाले डा. दिलीप कुमार बताते हैं, "पेसमेकर को आमतौर पर उन मरीज़ों के लिए बनाया जाता है जिनका दिल बायीं ओर होता है। हमने इस मरीज़ के मामले में कंडक्शन सिस्टम पेसिंग (सीएसपी) तकनीक का इस्तेमाल करने वाला पेसमेकर लगाने का फ़ैसला किया। दुनिया में अब तक किसी ऐसे मरीज़ को पेसमेकर लगाने के लिए सीएसपी का इस्तेमाल नहीं किया गया है, जिसका दिल दायीं ओर था।"

डॉक्टरों ने बताया है कि कंडक्शन सिस्टम पेसिंग या सीएसपी तकनीक कुछ जटिल है। लेकिन आसान शब्दों में कहें तो इस तकनीक से दिल की स्वाभाविक धड़कन को पेसमेकर की सहायता से स्थिर बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।

दोनों अस्पतालों के डॉक्टरों ने बताया है कि उनके मरीज़ अब पहले के मुकाबले काफी बेहतर स्थिति में हैं। कुछ दिनों बाद उनके स्वास्थ्य की दोबारा जांच की जाएगी।

साइटस इनवर्सिस की स्थिति:

वैज्ञानिकों ने कई सौ साल पहले ही बताया था कि दिल सीने के बायीं ओर की जगह दायीं ओर भी हो सकता है। मार्को सेवेरिनो ने वर्ष 1643 में सबसे पहले डेक्सट्रोकार्डिया की पहचान की थी। उसके लगभग एक सौ साल बाद मैथ्यू बेली ने अहम अंगों के उल्टी तरफ होने की स्थिति की व्याख्या की थी।

साइटस इनवर्सिस शरीर विज्ञान की एक दुर्लभ घटना है। डॉक्टरों का कहना है कि मोना रानी दास की तरह दिल और दूसरे अंगों के शरीर के भीतर उल्टी दिशा में होने जैसा मामला 40 लाख में से किसी एक को होता है।

लेकिन सिर्फ दिल के उल्टी यानी दायीं ओर होने की घटना उतनी दुर्लभ नहीं है। दुनिया भर में गर्भधारण करने वाली प्रति 12 हज़ार महिलाओं में एक की संतान का दिल बायीं ओर के बदले दायीं ओर रहता है।